आओ लुटेरों को बाघबान बनाए
अपने धीरज को थोड़ा और बढ़ाए,
फिर से लोमडियो को सत्ता दिलाएं,
उनकी ख़ुशी के लिए खुद बंट जाए,
अपने संयम के बांध पर एक बोरी सीमेंट की और चढ़ाएं
आओ लुटेरों को बाघबान बनाए
भगत सिंह के बलिदानों की अर्थी उठाएँ,
सीमा के शहीदों को फिर से कफ़न उड़ाएं,
भाषा प्रान्त के नाम पर वो हमे बांटते जाएँ,
क्षण अफ़सोस उपरांत हम सब भूल जाए,
आओ लुटेरों को बाघबान बनाए
वो करोड़ो के घोटाले करते जाएँ,
और हम दस रुपये की आमदनी पर भी टैक्स भरते जाएँ,
वो पेट्रोल की क़ीमतें बढ़ाते जाएँ,
हम बेशर्मों की तरह सिर्फ सौ कि टंकी में डलवायें
वो कानून की धझियाँ उड़ाएं,
हम कानून से नजर मिलाने में भी घबराएँ,
आओ लुटेरों को बाघबान बनाए
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